SBI रिसर्च रिपोर्ट में हुआ खुलासा, कैसे बना डिजिटल ट्रांजैक्शन आम जनता की ताकत

Technology में इनोवेशन ने भारतीय भुगतान प्रणाली को बदल दिया है. यह डिजिटल लेनदेन में वृद्धि के कारण ही संभव हो पाया है.
Digital Transaction : देश भर में डिजिटल ट्रांजैक्शन नकदी अपेक्षा आम जनता की ताकत बन गया है. क्योंकि आम लोगों को नकदी की अपेक्षा डिजिटल ट्रांजैक्शन अच्छा लगता है. इसकी वजह यह है कि लोगों को अब लेनदेन के लिए बैंक के चक्कर नहीं काटने पड़ते हैं. वह ऑनलाइन ही लेनदेन कर लेते हैं. डिजिटल ट्रांजैक्शन से आम लोगों का काम आसान हो गया है. अगर आप जानना चाहते हैं कि डिजिटल ट्रांजैक्शन आम जनता की ताकत कैसे बन गया है तो बता दें कि 20 साल में पहली बार दिवाली सप्ताह के दौरान प्रचलन में मुद्रा में बड़ी गिरावट आई है. SBI रिसर्च ने अपनी रिपोर्ट Ecowrap में कहा है कि Technology में इनोवेशन ने Indian Payment System को बदल दिया है. यह डिजिटल लेनदेन में वृद्धि के कारण ही संभव हो पाया है.
एसबीआई की रिसर्च रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि 20 सालों में ऐसा पहली बार हुआ है कि दिवाली सप्ताह के दौरान प्रचलन में मुद्रा में बड़ी गिरावट आई है. प्रौद्योगिकी में नवाचारों ने भारतीय भुगतान प्रणाली को बदल दिया है. इन वर्षों में भारतीय कैश लीड अर्थव्यवस्था अब स्मार्ट-फोन लीड भुगतान अर्थव्यवस्था में बदल गई है. प्रचलन में कम मुद्रा भी बैंकिंग प्रणाली के लिए सीआरआर में कटौती के समान है, क्योंकि इससे जमा राशि का कम उपयोग होता है और यह मौद्रिक संचरण को सकारात्मक रूप से प्रभावित करेगा.
बता दें कि भारतीय अर्थव्यवस्था संरचनात्मक परिवर्तन के दौर से गुजर रही है. मुख्य रूप से सरकार द्वारा अर्थव्यवस्था को औपचारिक और डिजिटल बनाने के लिए अथक प्रयास के कारण ही डिजिटल यात्रा को सफलता मिली. इसके अलावा, एकीकृत भुगतान इंटरफेस (UPI), वॉलेट और प्रीपेड भुगतान उपकरणों (पीपीआई) जैसी इंटरऑपरेबल भुगतान प्रणालियों ने डिजिटल रूप से पैसा ट्रांसफर करना लोगों के लिए आसान और सस्ता बना दिया है.
55 प्रतिशत रही NEFT की हिस्सेदारी
अगर हम नए खुदरा डिजिटल लेनदेन की बात करें तो मुख्य रूप से 55 प्रतिशत NEFT की हिस्सेदारी रही है और अधिकांश लेनदेन या तो शाखा में या इंटरनेट बैंकिंग के माध्यम से किए जाते हैं. हालांकि अगर हम केवल यूपीआई, तत्काल भुगतान सेवा (IMPS) और ई-वॉलेट जैसे स्मार्ट फोन के माध्यम से किए गए लेनदेन को देखें, तो उनकी हिस्सेदारी क्रमशः लगभग 16 प्रतिशत, 12 प्रतिशत और 1 प्रतिशत है.
रिपोर्ट में सामने आया है कि यूपीआई/ई-वॉलेट के माध्यम से किए गए छोटे पेमेंट भुगतान उद्योग में लगभग 11-12 प्रतिशत हैं. ‘एम-वॉलेट’ की धीमी गति अगस्त 2016 से यूपीआई भुगतान में वृद्धि के कारण हो सकती है, जो अक्टूबर 2022 में 12 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई है, जो बहुत तेजी से बाजार पर कब्जा कर रही है.
डिजिटल लेनदेन का हिस्सा 88 % तक पहुंचने की उम्मीद
आंकड़ों के अनुसार भुगतान प्रणालियों में सीआईसी की हिस्सेदारी वित्तीय वर्ष 2015-16 (वित्त वर्ष 16) में 88 प्रतिशत से घटकर वित्त वर्ष 2022 में 20 प्रतिशत हो गई है और वित्त वर्ष 27 में 11.15 प्रतिशत तक नीचे जाने का अनुमान है. नतीजतन, डिजिटल लेनदेन का हिस्सा वित्त वर्ष 2016 में 11.26 प्रतिशत से वित्त वर्ष 2022 में 80.4 प्रतिशत तक लगातार बढ़ रहा है और वित्त वर्ष 27 में 88 प्रतिशत तक पहुंचने की उम्मीद है.
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