हर बार विधायक बदलने में विश्वास रखती है सुलह की जनता, इस बार भी कड़ा है मुकाबला


हिमाचल प्रदेश की सुलह (Sullah) विधानसभा सीट कांगड़ा जिले के अंतर्गत आती है. यहां की जनता हर बार विधायक बदलने में विश्वास रखती है. 2017 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार विपिन सिंह परमार विधायक चुने गए थे.
सुलह का राजनीतिक इतिहास बहुत ही समृद्ध रहा है. यह विधानसभा क्षेत्र पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार की कर्मभूमि भी रहा है. वह दो बार सुलह से चुनाव जीते और मुख्यमंत्री भी बने.
कांग्रेस के जगजीवन पाल 2012 में यहां से जीतकर विधायक बने, उन्होंने भाजपा के विपिन परमार को हराया था. इस चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार जगजीवन पाल को 32,105 वोट मिला था, जबकि भाजपा के विपिन सिंह परमार को 27677 वोट मिले थे, वोट शेयर की बात करें तो इस चुनाव में कांग्रेस को 51.36% और भाजपा को 44.28% वोट शेयर मिला था.
2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के विपिन सिंह परमार ने जीत हासिल की थी. उन्होंने कांग्रेस के जगजीवन पाल को हराया था. इस चुनाव में भाजपा उम्मीदवार विपिन सिंह को 38,173 वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस उम्मीदवार जगजीवन पाल को 27,882 वोट मिला था. वोट शेयर की बात करें तो भाजपा का वोट शेयर 55.6% और कांग्रेस का वोट शेयर 40.22% रहा था.
2022 के चुनाव में भी सुलह सीट पर दिलचस्प मुकाबला होने की उम्मीद नजर आ रही है, भाजपा ने यहां से पिछली बार की तरह ही विपिन परमार को टिकट दिया है, वहीं कांग्रेस ने जगदीश सेपहिया को उम्मीदवार बनाया है, आम आदमी पार्टी ने इस सीट से रविंद्र सिंह को टिकट दिया है जो इस मुकाबले को त्रिकोणीय बना रहे हैं.
सुलह में राजपूत वोटरों की संख्या अधिक है, दूसरे स्थान पर ओबीसी मतदाता आते हैं. इसके बाद अनूसूचित जाति व जनजाति के मतदाताओं की संख्या है.
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