उत्तर कोरिया ने फिर दागी मिसाइल, दक्षिण कोरिया ने उड़ाए फाइटर जेट, दोनों देशों में बढ़ा तनाव, पढ़िए पूरी डिटेल


उत्तर कोरिया लंबे समय से मिसाइल टेस्ट करता आ रहा है। एक तरफ किम जोंग की धमकियां और दूसरी तरफ मिसाइल परीक्षणों ने इलाके में तनाव को और बढ़ा दिया है। बताया जा रहा है कि सबसे पहले नॉर्थ कोरिया की तरफ से गुरुवार सुबह को एक लंबी दूरी वाली क्रूज मिसाइल का परीक्षण किया गया था। उसके बाद उसके युद्धक विमान दक्षिण कोरिया की सीमा के पास उड़ान भरते देखे गए। जब वो लड़ाकू विमान बॉर्डर के काफी करीब आ गए, तब साउथ कोरिया ने अपनी सुरक्षा के मद्देनजर F-35 फाइटर जैट तैनात कर दिए।
अभी के लिए दोनों देशों की तरफ से कोई हमला नहीं किया गया है, ऐसी स्थिति बनती भी नहीं दिख रही है। लेकिन सीमा पर तनाव बढ़ गया है। उत्तर कोरिया लगातार मिसाइल दागने की हरकत करता रहा, तो आगे स्थिति और भी बिगड़ सकती है। लगातार हो रहे मिसाइल परीक्षणों ने दक्षिण कोरिया को अलर्ट कर दिया है।
अहम बात यह है कि पिछले दिनों उत्तर कोरिया ने जापान के ऊपर से मिसाइल दागी थी। इससे भी स्थिति तनावपूर्ण हो गई थी। जापान ने भी इस पर ऐतराज जताया था। हालांकि तब उत्तर कोरिया ने दावा किया था कि पड़ोसी देश को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया गया।
लगातार अमेरिका, जापान और दक्षिण कोरिया की तरफ से चेतावनी दी जा रही है, इन मिसाइल परीक्षण को रोकने की अपील हो रही है, लेकिन नॉर्थ कोरिया अपनी रणनीति पर कायम है और लगातार मिसाइल दाग रहा है। दक्षिण कोरिया ने स्पष्ट कहा है कि उत्तर कोरिया की ओर से मिसाइल दागे जाने वाली इन मिसाइलों को उकसावे की कार्रवाई के तौर पर देखा जाना चाहिए। वहीं अमेरिकी सेना ने भी तेजी से बदलती इन स्थितियों के बीच अपने सहयोगियों से चर्चा करना शुरू कर दिया है।
उत्तर कोरिया की अर्थव्यवस्था कोई खास दमदार नहीं है। लेकिन विशेषज्ञ बताते हैं कि उत्तर कोरिया को चीन का साथ मिला हुआ है। चीन की ओर से उसे आर्थिक मदद भी मिलती रही है। यही कारण है कि वह मिसाइल दागने जैसे काम करता है। दरअसल, चीन उत्तर कोरिया को अपने सहयोगी के रूप में देखता है। यदि भविष्य में युद्ध व्यापक होने की नौबत आई तो चीन, रूस के साथ उत्तर कोरिया भी खड़ा हो जाएगा। ऐसी सभी संभावनाओं के मद्देनजर चीन उत्तर कोरिया को बैक डोअर से मदद करता है। वैसे भी उत्तर कोरिया के संबंध अमेरिका से अच्छे नहीं रहे हैं। शीत युद्ध के दौरान भी अमेरिका दक्षिण कोरिया को ही मदद करता रहा, जबकि उत्तर कोरिया की मदद के लिए तत्कालीन सोवियत संघ खड़ा रहा।
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